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1.
डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण (डीपीडीपी) नियम के तहत इंटरनेट मीडिया पर अकाउंट खोलने के दौरान वर्चुअल टोकन के जरिये बच्चे व उनके माता-पिता का सत्यापन किया जाएगा। इलेक्ट्रानिक्स व आइटी मंत्रालय के मुताबिक वर्चुअल टोकन सत्यापन के वक्त जेनरेट होगा और अस्थायी होगा। डिजिटल डाटा का उपयोग करके वर्चुअल टोकन जेनरेट किया जाएगा।
2.
अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह प्रशासन ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जारवा समुदाय के 19 सदस्यों को मतदाता पहचान पत्र सौंपे हैं। जारवा जनजातीय समूहों में से एक है। जारवा समुदाय की विशिष्ट पहचान को बनाए रखने और उनकी गोपनीयता की सुरक्षा के लिए व्यापक उपाय किए हैं। जारवा अंडमान की मूल जनजातियों में से एक हैं, जो अपनी खानाबदोश जीवनशैली, वन संसाधनों पर निर्भरता और प्रकृति से जुड़ाव के लिए जाने जाते हैं। जारवा समुदाय के लोग बाहरी संपर्क से अलग- थलग रहे हैं, जिससे उनकी अनूठी सांस्कृतिक प्रथाओं और परंपराओं को संरक्षित रखा गया है। वे दक्षिण और मध्य अंडमान द्वीप समूह के पश्चिमी तटों पर रहते हैं, जो जैव विविधता से समृद्ध है।
3.
डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण संबंधी प्रस्तावित नियमावली में एक प्रविधान यह भी है कि सोशल नेटवर्क प्लेटफार्म पर अकाउंट खोलने वाले 18 साल से कम आयु के बच्चों को माता-पिता की सहमति लेनी होगी। वह प्रविधान उपयुक्त तो दिखता है, लेकिन इसमें संदेह है कि इस पर प्रभावी ढंग से अमल हो सकेगा, क्योंकि माता-पिता की सहमति की नौबत तो तब आएगी, जब बच्चा अपनी आयु 18 से वर्ष से कम बताएगा। यदि वह ऐसा नहीं करता और अपनी उम्र 18 वर्ष या इससे अधिक बताता है, जिसकी संभावना भी है तो बहुत आसानी से सोशल नेटवर्क प्लेटफार्म पर अपना अकाउंट खोलने में समर्थ हो जाएगा। ऐसे प्लेटफार्म बच्चों के स्वाभाविक विकास में बाधक बनने के साथ ही उन्हें मोबाइल का लती भी बना रहे हैं। इसके चलते ही आस्ट्रेलिया ने अभी हाल में बच्चों को सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए यह कानून बना दिया है कि कोई भी सोशल नेटवर्क प्लेटफार्म 16 वर्ष से कम आयु के किसी बच्चे का अकाउंट नहीं खोल सकता।
4.
सूचना-प्रौद्योगिकी के इस युग में एक और जहां हमारी डिजिटल निर्भरता बढ़ती जा रही है, वहीं दूसरी और ये गतिविधियां डिजिटल प्रदूषण और ई-कचरे का कारण भी बन रही हैं। स्मार्टफोन, लैपटाप और कंप्यूटर का उपयोग करते समय, खासकर इंटरनेट के माध्यम से कुछ भी भेजने, देखने या डाउनलोड करने पर कार्बन फुटप्रिंट उत्पन्न होता है। इस तरह डिजिटलीकरण पर्यावरण संरक्षण की राह में मुश्किलें उत्पन्न करता है, जो अंततः स्वच्छ पर्यावरण के मानव अधिकार में बाधक बनता है। डिजिटल प्रदूषण दुनिया के वैश्विक ग्रीनहाउस उत्सर्जन में चार प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है।
5.
वर्ष 2027- 28 तक भारत की इकोनमी के आकार को पांच ट्रिलियन डालर तक ले जाने के लिए केंद्र सरकार को काफी नीतिगत मेहनत करनी होगी। इसकी वजह यह है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान देश का आर्थिक विकास दर घटकर 6.4 रहने की संभावना है। केंद्र सरकार के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से जारी वार्षिक घरेलू उत्पादन (जीडीपी) के अनुमान में यह बात कही है। सरकारी और निजों एजेंसियों की जो रिपोर्ट सामने आई हैं, उसमें वर्ष 2024-25 व वर्ष 2025-26 में सालाना विकास दर सात प्रतिशत से भी नीचे रहने की बात कही जा रही है।
6.
माइक्रोसाफ्ट भारत में क्लाउड कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षमता के विस्तार पर दो साल में तीन अरब डालर (लगभग 25,700 करोड़ रुपये) का निवेश करेगी। कंपनी के चेयरमैन और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सत्य नडेला ने यहां प्रौद्योगिकी फर्मों के स्टार्टअप संस्थायकों की मौजूदगी में आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा तकनीकी दिग्गज 2030 तक भारत में एक करोड़ लोगों को एआइ में प्रशिक्षित भी करेगी। कंपनी के पास 60 से अधिक एज्योर क्षेत्र हैं, जिनमें 300 से अधिक डाटा सेंटर शामिल हैं।
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