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DAINIK JAGRAN

1.

10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में फुटपाथों का होगा सुरक्षा आडिट

सुप्रीम कोर्ट ने पैदल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत आदेश दिए हैं। शीर्ष अदालत ने दिल्ली, मुंबई, वाराणसी, लखनऊ, कानपुर सहित देशभर के 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले 50 शहरों में फुटपाथों का सुरक्षा अडिट करने और सुरक्षित पैदल पार पथ बनाने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने सड़क पर मनमाने ढंग से गाड़ी चलाने और ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने बालों की भी लगाम कसी है। बिना हेलमेट, हाईबीम, नीली-लाल झिलमिलाती बत्ती और गलत लेन में गाड़ी चलाने बालों पर सख्ती से कार्रवाई करने और इस पर रोक लगाने का आदेश दिया है। नियमों के उल्लंघन पर क्या कार्रवाई की गई और कितना जुर्माना वसूला गया, इसका ब्योरा शीर्ष अदालत को दिया जाए‌गा। कोर्ट ने सड़कों को सुरक्षित बनाने और पैदल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ प्रभावी शिकायत तंत्र विकसित करने और उसकी नियमित निगरानी का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं के बारे में भारत सरकार के ताजा आंकड़े देखते हुए यह आदेश दिया।


2.

पीड़ित और समाज-केंद्रित दिशानिर्देश तय करने की केंद्र की याचिका खारिज

सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने जघन्य अपराधों में मौत की सजा पाए मामलों में पीड़ितों और समाज के हितों को ध्यान में रखते हुए नए दिशानिर्देश बनाने की मांग की थी। केंद्र सरकार ने जनवरी, 2020 में शीर्ष अदालत में यह आवेदन दायर किया था और तर्क दिया था कि वर्तमान में मौत की सजा से जुड़े दिशानिर्देश केवल अभियुक्त और दोषी-केंद्रित हैं। उसने कहा था कि न्यायालय को ऐसे मामलों में, जो 'न्यायालय के सामूहिक विवेक को झकझोर देते हैं', पीड़ितों और समाज के हितों को भी ध्यान में रखते हुए दिशानिर्देश तय करने चाहिए।


3.

ठेका व दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को वर्षों अस्थायी रखना असंवैधानिक'

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा व पंजाब की सरकारों की आलोचना करते हुए कहा, वे लंबे समय से सेवा दे रहे अस्थायी, दैनिक वेतनभोगी और अनुबंधित कर्मियों के नियमितीकरण को लेकर संवैधानिक अदालतों के निर्णयों से बचने की नीति अपना रही हैं। यह न केवल कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों का हनन है, बल्कि समानता और - गरिमा के सिद्धांतों को भी कमजोर - करता है।


4.

सारंडा को वन्यजीव अभयारण्य अधिसूचित करने को झारखंड सरकार को मिला एक हफ्ता

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार से कहा है कि वह सात दिनों के भीतर पारिस्थितिक रूप से समृद्ध सारंडा वन क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य घोषित करने का निर्णय ले। अब मामले को 15 अक्टूबर के लिए आगे बढ़ा दिया है।

यह मामला पश्चिम सिंहभूम जिले के सारंडा और ससंगदाबुरु वन क्षेत्रों को क्रमशः वन्यजीव अभयारण्य और संरक्षण आरक्षित क्षेत्र के रूप में अधिसूचित करने के लंबित प्रस्ताव से संबंधित है।


5.

आइआइटी कानपुर के स्टार्टअप ने वाजार में उतारा वायोस्टिमुलेंट स्प्रे, रासायनिक खादों का मिला अच्छा विकल्प

फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए जरूरी नाइट्रोजन अब रासायनिक खाद के बजाय मनुष्य के बालों से प्राप्त किया जा सकेगा। इस नवाचार से रासायनिक खादों के उपयोग में कमी आएगी और जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। बालों से प्राप्त नाइट्रोजन का उपयोग पूरी तरह से जैविक मानदंडों के अनुरूप होगा, जिससे मिट्टी की उत्पादन क्षमता में सुधार होगा और रासायनिक खादों के सेवन से होने वाले गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों में भी कमी आएगी।भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), कानपुर के स्टार्टअप रिसाइटेक नेचुरल्स ने बालों से प्राप्त नाइट्रोजन का बायोस्टिमुलेंट स्प्रे विकसित किया है। इसके प्रयोग से पौधों में स्वाभाविक रूप से 10 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।


6.

भारत की दृष्टि हैं प्राचीन पांडुलिपियां

पिछले दिनों ज्ञान भारतम् मिशन की रूपरेखा तय करने के उद्देश्य से वैश्विक सम्मेलन का आयोजन किया गया और नई दिल्ली घोषणापत्र अपनाया गया। इसका उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपरा के अभिन्न अंग पांडुलिपियों में बिखरे भारतीय ज्ञान के संरक्षण, उनके डिजिटलीकरण और प्रसार के साथ विदेश चली गई मूल कृतियों को वापस लाने का प्रयास शामिल है। इस घोषणापत्र में मूल पांडुलिपियों को वापस प्राप्त करने और उन्हें विदेश से लाने और उनकी डिजिटल प्रतियां सुरक्षित करने, शोध और राष्ट्रीय गौरव के लिए उन तक पहुंच सुनिश्चित करने का संकल्प लिया गया है। भारत अब तक दुनिया भर से चोरी या फिर तस्करी के द्वारा देश के बाहर गईं 600 से अधिक धरोहरों को वापस ला चुका है। इनमें अकेले अमेरिका से ही 559 धरोहरों को वापस लाया गया है। पांडुलिपियां किसी राष्ट्र की जीवन स्मृति और उसकी सभ्यता की पहचान की नींव होती हैं। भारत जैसी संस्कृति वाले राष्ट्र के पास पांडुलिपियों का समृद्ध संग्रह है, जिसमें लगभग एक करोड़ ग्रंथ हैं, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ज्ञान परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हैं।

भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित पांडुलिपियां ताड़ पत्र, हस्तनिर्मित कागजों, शंटी की छालों, कपड़ों, चर्मपत्र, बर्च (भोजपत्र), ताम्रपत्र के रूप में सुरक्षित हैं,


7.

अमेरिकियों पर कर की तरह है ट्रंप का लगाया गया टैरिफ : गीता गोपीनाथ

आइएमएफ की पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ प्रस्तावों ने अमेरिकी उपभोक्ताओं पर कर बढ़ाने के रूप में कार्य किया, महंगाई बढ़ाई और अमेरिकी अर्थव्यवस्था की कोई लाभ नहीं पहुंचाया। पिछले छह महीनों में स्कोर कार्ड नकारात्मक रहा है।


8.

गोर भारत में अमेरिकी राजदूत नियुक्त, संसद ने किया मतदान

अमेरिकी सीनेट ने सर्जियो गोर को भारत में अमेरिका के अगले राजदूत के रूप में नियुक्त किया है। 51 सीनेटरों ने पक्ष में और 47 ने उनके खिलाफ मतदान किया। वहीं, कैलिफोर्निया के पाल कपूर को दक्षिण एशियाई मामलों के लिए सहायक विदेश मंत्री और फ्लोरिडा की अंजनी सिन्हा को सिंगापुर गणराज्य में राजदूत नियुक्त - किया गया। 38 वर्षीय गोर भारत में सबसे युवा अमेरिकी राजदूत होंगे।


9.

अफगान तालिबान के विदेश मंत्री पहली बार आ रहे भारत

अफगानिस्तान तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी भारत आने वाले हैं। 2021 में देश की सत्ता पर कब्जा करने के बाद यह किसी तालिबानी नेता की पहली भारत यात्रा होगी। यह यात्रा आर्थिक संबंधों और राजनयिक मान्यता की तलाश में क्षेत्रीय शक्तियों के साथ जुड़ाव बढ़ाने के तालिबान के प्रयासों को उजागर करती है।


10.

मेटल आर्गेनिक फ्रेमवर्क के लिए मिला केमिस्ट्री का नोबेल

आणविक संरचना का एक नया रूप विकसित करने के लिए तीन विज्ञानियों सुसमु कितागावा, रिचर्ड राबसन और उमर बाघी को इस साल का रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार दिया जाएग। इस संरचना से ऐसी सामग्री प्राप्त होगी, जो जलवायु परिवर्तन और स्वच्छ पानी की कमी जैसी चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकती है। इन विज्ञानियों का काम पिछली सदी के नौवें दशक में राबसन द्वारा किए गए प्रयोगों से शुरू हुआ और लगभग 15 वर्षों की अवधि में घीरे-धीरे विकसित हुआ। तीनों पुरस्कार विजेताओं ने आणविक संरचनाएं बनाने पर काम किया, जिन्हें मेटल आर्गेनिक फ्रेमवर्क (एमओएफ) के रूप में जाना जाता है।


11.

महिलाओं में अवसाद के जोखिम में आनुवंशिक कारकों का योगदान

आस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं की टीम ने पहली बार यह पता लगाया है कि महिलाएं और पुरुष अवसाद का अनुभव कैसे करते हैं। उन्होंने बताया कि इसमें महत्वपूर्ण आनुवंशिक भिन्नताएं हैं। यह अध्ययन अवसाद का शिकार होने पर अधिक बेहतर तरीके से इलाज का मार्ग प्रशस्त करेगा। अध्ययन नेचर कम्युनिकेशन में प्रकाशित किया गया है। विज्ञानियों ने पाया कि आनुवंशिक कारक महिलाओं में अवसाद के जोखिम में पुरुषों की तुलना में अधिक योगदान करते हैं। क्यूआइएमआर बर्गहोफर मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीम ने कहा कि महिलाओं के डीएनए में अवसाद के लिए पुरुषों की तुलना में लगभग दोगुने आनुवंशिक संकेत पाए गए।


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