DAINIK JAGRAN (01 Jul 2025) | Daily News Highlights
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DAINIK JAGRAN

1.

पाताल में भी लक्ष्य को भेदेगा अग्नि-5 मिसाइल पर लगा मुखास्त्र

हाल के वैश्विक संघर्षों से सबक लेते हुए भारत ने भविष्य के युद्धों के लिए बंकर बस्टर बम बनाने की दिशा में प्रयास तेज कर दिया है। भारत ऐसी शक्तिशाली मिसाइल प्रणाली पर काम कर रहा है, जिसमें अग्नि-5 पर लगा मुखास्त्र (वारहेड) पाताल में भी लक्ष्य को भेदने में सक्षम होगा। हालिया दिनों में जब अमेरिका ने ईरान के फोडों परमाणु संयंत्र पर हमला किया तो बंकर बस्टर बम दुनियाभर में सुर्खियों में आ गया। हालांकि, भारतीय मिसाइल प्रणाली अमेरिका के बी-2 बमवर्षक से ज्यादा सटीक हमले करेगी, क्योंकि अग्नि-5 मिसाइल बेहतर ढंग से लक्ष्य पर निशाना साधेगी।


2.

भारत संग सीमा निर्धारण पर चर्चा के लिए चीन तैयार

चीन ने पूर्वी लद्दाख में सैन्य घुसपैठ के बाद पटरी से उतरे द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने का संकेत दिया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि भारत के साथ सीमा विवाद एक जटिल मुद्दा है और इसे सुलझाने में समय लगेगा। हालांकि, इसके साथ ही उसने सीमा निर्धारण पर चर्चा करने और इसे शांतिपूर्ण बनाए रखने की इच्छा भी व्यक्त की हैं।


3.

नीट और जेईई जैसी परीक्षाओं का बदलेगा पैटर्न

डाक्टर या इंजीनियर बनने की दौड़ में शामिल छात्रों की कोचिंग कक्षआओं पर दिनों-दिन बढ़ रही निर्भरता को लेकर शिक्षा मंत्रालय की चिंताएं बढ़ी हुई हैं। वह बच्चों को रटने-रटाने के इस खेल से बाहर निकाल उन्हें स्कूली माहौल में पढ़ते व बढ़ते देखना चाहता है, जहां उनको पढ़ाई के साथ खेल-कूद जैसी दूसरी गतिविधियों के लिए भी समय मिलता है। यही वजह है कि मंत्रालय ने नीट-जेईई मेन जैसी परीक्षाओं के लिए पैटर्न में बदलाव को लेकर बड़ी तैयारी शुरू की है। संभव है कि अगले साल नीट व जेईई मेन जैसी परीक्षाओं में यह बदलाव दिखाई भी दे।


4.

अगले पांच वर्षों में सभी गांवों में होंगी सहकारी संस्थाएं

सहकारिता के जरिये समृद्धि के प्रयासों के तहत केंद्र सरकार ने अगले पांच वर्षों में देश के सभी गांवों में सहकारी संस्थाएं खोलने का लक्ष्य रखा है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के मौके पर राज्यों के सहकारिता मंत्रियों के साथ 'मंथन बैठक' की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय सहकारिता नीति जल्द बनाने की घोषणा की। इसके तहत राज्यों की नीति उनकी जरूरत के अनुसार बनाई जाएगी। उन्होंने राज्यों के सहकारिता मंत्रियों को कृषि मंत्रियों के साथ मिलकर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का आग्रह किया, ताकि जनस्वास्थ्य और धरती दोनों का हित हो। यह भी कहा कि प्रत्येक राज्य का कम से कम एक सहकारी प्रशिक्षण संस्थान त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी से जुड़े और राज्य के सहकारी प्रशिक्षण की समग्र व्यवस्था का नेतृत्व करे। बैठक का उद्देश्य सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए चल रही योजनाओं की समीक्षा, उपलब्धियों का आकलन और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक गतिशील मंच प्रदान करना है।


5.

'रक्षा आवंटन को जीडीपी का तीन प्रतिशत तय करने को बने मापदंड'

'बिग फोर' अकाउंटिंग फर्म में से एक बहुराष्ट्रीय पेशेवर सेवा नेटवर्क अन्र्स्ट एंड यंग (ईवाई) की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अपने सैन्य खर्च को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत पर तय करने के मापदंड पर विचार करना चाहिए। साथ ही एक 'अक्षय' रक्षा आधुनिकीकरण कोष बनाया जाए और घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने पर भी विचार किया जाना चाहिए।


6.

पीओपी से बनी मूर्तियों के विसर्जन पर नीति बनाएगा महाराष्ट्र

महाराष्ट्र सरकार प्लास्टर आफ पेरिस (पीओपी) से बनी मूर्तियों के विसर्जन को लेकर नीति बनाएगी। सरकार ने सोमवार को बांबे हाई कोर्ट को बताया कि वह तीन सप्ताह में नीति तैयार कर लेगी।


7.

देश में 112 ग्रामीण जिले प्रति व्यक्ति आय 2,000 डालर के पार वाले

ग्रामीण भारत एक कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था से सेवा-आधारित अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से बढ़ रहा है और 112 ग्रामीण जिलों ने पहले ही प्रति व्यक्ति आय के 2,000 डालर के स्तर को पार कर लिया है। इनमें 29.1 करोड़ लोग निवास कर रहे हैं। एचडीएफसी सिक्योरिटीज द्वारा जारी ग्रामीण भारतः आर्थिक आधारों में बदलाव शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समृद्ध वर्ग से उत्पादों और सेवाओं की मांग में निरंतर वृद्धि की उम्मीद है।


8.

पात्र नागरिक ही मतदाता बनें, इसलिए सघन सत्यापन जरूरी

विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में चुनाव आयोग की ओर से मतदाता सूची के सघन सत्यापन और पुनरीक्षण को लेकर चलाए गए अभियान पर सवाल खड़े कर रहे राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग ने सोमवार को जवाब दिया। आयोग ने कहा कि पात्र नागरिक ही मतदाता सूची में जगह पाए, इसलिए यह सत्यापन हो रहा है। वैसे भी मतदाता सूची का पुनरीक्षण और सत्यापन एक सतत प्रक्रिया है। यह पिछले 75 वर्षों से होती आ रही है, इसमें कुछ भी नया नहीं है। बिहार में इससे पहले मतदाता सूची का सत्यापन 2003 में हुआ था।


9.

90 दिन, पांच करोड़ मुकदमे चर्चा से समाधान के रास्ते

आज भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 का एक साल पूरा हो रहा है जिसमें कुछ कृत्यों को अपराध की श्रेणी से हटाया गया, कुछ को फिर से परिभाषित किया गया और कुछ नए अपराधों को शामिल किया गया। फिर भी अदालतों में लंबित मामलों का आंकड़ा कम नहीं हो रहा है। इसी के चलते आज से देश भर की अदालतों में लंवित मुकदमों के निपटारे के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) और सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति (एमसीपीसी) की ओर से 90 दिनों का मध्यस्थता अभियान मेडिएशन फार द नेशन शुरू किया जा रहा है है जो 30 सितंबर 2025 तक जारी रहेगा। न्याय का ये वैकल्पिक तरीका पहली बार नहीं अपनाया गया है बल्कि मामलों के वढ़ते बोझ के चलते समय-समय पर ऐसे मध्यस्थता अभियान चलाए जाते रहे हैं जिसमें वहस नहीं चर्चा होती है, निर्णय नहीं सहमति बनती है और सजा नहीं राह निकलती है। आइए जानते हैं देश में कुल मामलों की संख्या, प्रकार और अभियान की प्रक्रिया।


10.

प्रस्तावना बदलने से हिल गई संविधान की नींव.

स्वतंत्र भारत को राजनीति की विडंबना संविधान की प्रस्तावना की हालत से समझी जा सकता है। यह विडंबना हैः शब्दों, नारों से खेलना। उन शब्दों की गरिमा, भावना और उनसे जुड़े कर्तव्य के प्रति बेपरवाह रहना। लोकतंत्र, राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय एकता अथवा सोशलिज्म, सेक्युलरिज्म, सभी शब्ों के साथ भारत में यही होता रहा है। 1950 में बने संविधान की प्रस्तावना ने भारत को 'लोकतांत्रिक गणराज्य' कहा था। उसमें 26 वर्ष बाद दो शब्द 'सेक्युलर' और 'सोशलिस्ट' जोड़ दिए गए। अब फिर 50 वर्ष बाद प्रस्तावना को पूर्ववत करने की बात कही जा रही है। यह भी हमारे नेताओं का एक खेल साबित हो तो आश्चर्य नहीं। मूल 'प्रस्तावना' के संशोधन ने पूरे संविधान को बिगाड़ा। यह परिवर्तन 1975-76 की 'इमरजेंसी' के दौरान किया गया, जब केंद्रीय मंत्रिमंडल के निर्णय केंद्रीय मंत्रियों को भी रेडियो से मालूम होते थे। जब विपक्षी नेता जेल में थे और प्रेस पर सेंसरशिप थी। वह संशोधन बिना समुचित विचार-विमर्श के हुआ था। दो-चार व्यक्तियों की चतुराई से, जिन्होंने इंदिरा गांधी को इसके लिए कायल किया। यह संविधान की आमूल विकृति थी। इसके लिए चार तथ्यों पर विचार करें।


11.

शहरों की सच्चाई बनता ट्रैफिक जाम

गत दिनों इंदौर-देवास मार्ग पर लगे आठ किलोमीटर लंबे ट्रैफिक जाम ने न सिर्फ वाहनों को रोक दिया, बल्कि तीन लोगों की जान भी ले ली। दो लोगों को दिल का दौरा पड़ा और एक मरीज की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो गई। इस जाम में करीब चार हजार वाहन फंसे रहे। यह कोई अकेली घटना नहीं है, बल्कि भारत के कई शहरों की दर्दनाक हकीकत बन गई है। देश में बढ़ते ट्रैफिक जाम अब सिर्फ समय की बर्बादी या ईंधन की खपत का मामला नहीं रह गया है। यह समस्या अब सीधे तौर पर मानव जीवन, मानसिक स्वास्थ्य, उत्पादकता और देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही है। विश्व बैंक के अनुसार, ट्रैफिक जाम और शहरी भीड़भाड़ के कारण भारत को हर साल करीब 22 अरब डालर का नुकसान होता है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई जैसे भारत के प्रमुख शहरों की औसत ट्रैफिक स्पीड 18 से 21 किलोमीटर प्रति घंटा के बीच है। पीक आवर्स में दिल्ली में एक कार की औसत स्पीड घटकर 11 किलोमीटर प्रति घंटा रह जाती है। इसके विपरीत लंदन में यह गति 22 किमी / घंटा, न्यूयार्क में 28 किमी/घंटा और टोक्यो में लगभग 30 किमी/घंटा है। भारतीय शहर दुनिया के सबसे धीमे और सबसे अधिक जाम वाले शहरों में से हैं।


12.

साइबर ठगी के बदलते तरीकों पर लगे अंकुश

साइबर ठगी से जुड़े म्यूल बैंक खातों पर हाल ही में सीबीआइ ने 'आपरेशन चक्र-पांच' के तहत बड़ी कार्रवाई की है। सीबीआइ ने पांच राज्यों में 42 ठिकानों पर छापेमारी करके नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जांच में पूरे देश के बैंकों की 700 से अधिक शाखाओं में 8.5 लाख ऐसे म्यूल खाते सामने आए हैं, जिनका उपयोग साइबर अपराधी कर रहे थे। बता दें कि म्यूल खाते वो बैंक अकाउंट होते हैं, जिनका इस्तेमाल साइबर अपराधी चोरी किए गए पैसों को छिपाने या आगे ट्रांसफर करने के लिए करते हैं। ये खाते आम लोगों के नाम पर होते हैं, जो लालच या अनजाने में अपने बैंक डिटेल्स किसी अन्य को दे देते हैं। साइबर ठग इन खातों में पहले ठगी के पैसे ट्रांसफर करते हैं और फिर उन्हें अलग-अलग खातों में भेजकर पैसों का रिकार्ड मिटाने का प्रयास करते हैं। इससे असली ठग तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। कई बार ये खाते इतने चेन में जुड़े होते हैं कि जांच एजेंसी के लिए धोखाधड़ी का रास्ता ट्रेस करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।


13.

न्यायिक टिप्पणी की मर्यादा

समाज में केवल कानूनी दृष्टि से ही नहीं, बल्कि नैतिक और सांस्कृतिक प्रभावों के साथ गूंजते हैं। इस विशेष मामले में, बाल बलात्कार जैसे जघन्य अपराध को केवल भाषा और तकनीकी व्याख्या तक सीमित कर देना, चाहे अनजाने में ही क्यों न हो, पीड़िता की पीड़ा की गंभीरता को कम करके आंकना है। यह न केवल "न्याय" के आत्मा को आहत करता है, बल्कि संविधान में निहित करुणा, गरिमा और समानता के मूल्यों को भी कमजोर करता है। न्यायपालिका का दायित्व केवल विधिक निर्णय देना नहीं, बल्कि उस सामाजिक नैतिकता और संवेदनशीलता को बनाए रखना भी है, जो एक लोकतांत्रिक और समावेशी समाज की बुनियाद है।


14.

कई दशक के निचले स्तर पर सकल एनपीए

आरबीआइ ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा कि बैंकों की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) का स्तर मार्च 2025 में 2.3 प्रतिशत रहा है, जो कई दशक का निचला स्तर है। सितंबर 2024 में यह 2.6 प्रतिशत था। आरबीआइ ने अपनी अर्ध-वार्षिक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा है 46 बैंकों का सकल एनपीए मार्च 2027 तक बढ़कर 2.6 प्रतिशत पर पहुंच सकता है। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की कुल परिसंपत्तियों में इन 46 बैंकों की 98 प्रतिशत हिस्सेदारी है।


15.

सार्क के बदले नया संगठन बनाने की तैयारी में पाक और चीन

पाकिस्तान से तनाव के चलते भारत के सार्क से मुंह मोड़ने के बाद पाकिस्तान और चीन एक नए क्षेत्रीय संगठन की स्थापना के प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह नया संगठन निष्प्रभावी हो चुके दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) का स्थान ले सकता है।


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